Nojoto: Largest Storytelling Platform

कलम की स्याही !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! मेरी कलम की

कलम की स्याही
!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
मेरी  कलम  की स्याही  सूख  चुकी है सच लिखते लिखते,
खत्म   हो   रहा   है  इंसान   शमशान   में  जलते  - जलते।
अल्लाह   भी  आज  परेशान है  पुतले  को  गढ़ते - गढ़ते।।
बचपन   बिता  , फिर   जवानी , बहत्तर   हूर   नहीं  मिला,
थक गए धर्म ग्रंथो को पढ़ते-पढ़ते।

एहसास  कब   होगा , धर्म   का  मतलब   कब    समझोगे,
आत्माएं    भी     बोझिल   ‌ हो    चुकी    है   मरते -  मरते।।
हलाल , जिहाद , आतंक     सब   नफरत    कि   खेती   है,
धरती  एक है , तुम भी एक  हो  जाओ , उम्र ढ़लते - ढ़लते।
मेरी कलत की स्याही सूख चुकी है सच लिखते - लिखते।।
"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
प्रमोद मालाकार कि पेशकश.... 27.10.23

©pramod malakar # कलम की स्याही

# कलम की स्याही

135 Views