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जंजीरों से जकड़ी रूह को आज शायद सुकून मिल जाए तपत

जंजीरों से जकड़ी रूह को आज
 शायद सुकून मिल जाए
तपती रेत पर बारिश की बूंद पड़ जाए
जिंदगी से अलग होती रूह को 
कुछ वक्त और मिल जाए
आज जो बातें अधूरी है वो
 पूरी करने का मुझे मौका मिल जाए
असर मिटा दूं शायद अपने संस्कारों का
 ओर विद्रोही बन आज  सपनो की खातिर 
लड़ने की हिम्मत आ जाए ।।

©aditi jain
  #baaghi   Chouhan Saab Natkhat Krishna जनकवि शंकर पाल( बुन्देली) Pappu Rai ANOOP PANDEY