वो रेशम सी खिलती गई, मैं धागा सा जुड़ता गया,वो राखी बांधती गई, मैं कलाई आगे करता गया, वो तिलक करती गई, मैं कसमें भरता गया, वो मुंह मीठा कराती गई, मैं झगड़ा भुलाता गया, वो दुआएं करती गई, मैं आशीष देता गया, वो आरती करती गई, मुझे सुकुन मिलता गया, वो मुस्कुराती गई, माहौल खुशनुमा होता गया,हम खुश होते गए, हमारा घर खिलता गया। #रक्षा बंधन