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रहा जो बढ़ के अपनों से हुआ देखो पराया है लगे मुझको

रहा जो बढ़ के अपनों से हुआ देखो पराया है
लगे मुझको कि जैसे मुझ से रूठा मेरा साया है।

इरादा बेवफाई का नहीं हरगिज़ रहा मेरा
हुई है भूल मैंने राज़ जो उससे छुपाया है।

नहीं मालूम उसको भी नहीं मालूम मुझको भी
किसी ने फायदा अच्छा भरोसे का उठाया है।

बहुत शातिर खिलाड़ी है चली है चाल वो उसने
हमारे दरमियां शक का ग़ज़ब सामां सजाया है।

कि मुझ पर बेवफाई का दिया इल्ज़ाम है झूठा
किया बदनाम है सबकी निगाहों से गिराया है।

ख़ता है वक्त की शायद जो हम-दोनों में है दूरी
मिलाएगा हमें वो ही जुदा जिसने कराया है।

मुझे दिन याद है जब टूट कर बिखरा हुआ था मैं
उसी ने तो संभाला था बिखरने से बचाया है।

ग़लतफहमी अभी थोड़ी अभी है फासला थोड़ा
हक़ीक़त है कि उसका दिल भी मैंने ही जलाया है।

गिला रखता भी है कहता शिकायत है नहीं कोई
मगर सच है कि रिश्तों को भी शिद्दत से निभाया है।

सफाई बेगुनाही की करूं मैं पेश जितनी भी
अभी मुझसे ख़फ़ा है इसलिए सब झूठ पाया है।  

"पिनाकी' कर ज़रा कोशिश यकीं कायम दुबारा हो
भरोसा तोड़ कर तूने किसी का दिल दुखाया है।

रिपुदमन झा "पिनाकी"
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki रहा जो बढ़ के अपनों से हुआ देखो पराया है
लगे मुझको कि जैसे मुझ से रूठा मेरा साया है।

इरादा बेवफाई का नहीं हरगिज़ रहा मेरा
हुई है भूल मैंने राज़ जो उससे छुपाया है।

नहीं मालूम उसको भी नहीं मालूम मुझको भी
किसी ने फायदा अच्छा भरोसे का उठाया है।
रहा जो बढ़ के अपनों से हुआ देखो पराया है
लगे मुझको कि जैसे मुझ से रूठा मेरा साया है।

इरादा बेवफाई का नहीं हरगिज़ रहा मेरा
हुई है भूल मैंने राज़ जो उससे छुपाया है।

नहीं मालूम उसको भी नहीं मालूम मुझको भी
किसी ने फायदा अच्छा भरोसे का उठाया है।

बहुत शातिर खिलाड़ी है चली है चाल वो उसने
हमारे दरमियां शक का ग़ज़ब सामां सजाया है।

कि मुझ पर बेवफाई का दिया इल्ज़ाम है झूठा
किया बदनाम है सबकी निगाहों से गिराया है।

ख़ता है वक्त की शायद जो हम-दोनों में है दूरी
मिलाएगा हमें वो ही जुदा जिसने कराया है।

मुझे दिन याद है जब टूट कर बिखरा हुआ था मैं
उसी ने तो संभाला था बिखरने से बचाया है।

ग़लतफहमी अभी थोड़ी अभी है फासला थोड़ा
हक़ीक़त है कि उसका दिल भी मैंने ही जलाया है।

गिला रखता भी है कहता शिकायत है नहीं कोई
मगर सच है कि रिश्तों को भी शिद्दत से निभाया है।

सफाई बेगुनाही की करूं मैं पेश जितनी भी
अभी मुझसे ख़फ़ा है इसलिए सब झूठ पाया है।  

"पिनाकी' कर ज़रा कोशिश यकीं कायम दुबारा हो
भरोसा तोड़ कर तूने किसी का दिल दुखाया है।

रिपुदमन झा "पिनाकी"
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki रहा जो बढ़ के अपनों से हुआ देखो पराया है
लगे मुझको कि जैसे मुझ से रूठा मेरा साया है।

इरादा बेवफाई का नहीं हरगिज़ रहा मेरा
हुई है भूल मैंने राज़ जो उससे छुपाया है।

नहीं मालूम उसको भी नहीं मालूम मुझको भी
किसी ने फायदा अच्छा भरोसे का उठाया है।

रहा जो बढ़ के अपनों से हुआ देखो पराया है लगे मुझको कि जैसे मुझ से रूठा मेरा साया है। इरादा बेवफाई का नहीं हरगिज़ रहा मेरा हुई है भूल मैंने राज़ जो उससे छुपाया है। नहीं मालूम उसको भी नहीं मालूम मुझको भी किसी ने फायदा अच्छा भरोसे का उठाया है। #OneSeason