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फिर फिर किसी और हुस्न की चाहत नहीं हुई।। हालांकि

फिर

फिर किसी और हुस्न की चाहत  नहीं हुई।।
हालांकि फिर भी दिल को राहत नहीं हुई।।

तू  आकर  चला  भी गया  ऐ  दोस्त मगर।।
मुझे  तेरे  कदमों  की   आहट   नहीं  हुई।।

फिर मैं करता भी तेरी हिफाजत तो कैसे।।
जब मुझ से  खुद की हिफाजत नहीं हुई।।

मैंने गुजारे चंद लम्हें तेरी तस्वीर के साथ।।
मगर तेरी तस्वीर मां का आंचल नहीं हुई।।

हारकर इश्क में मरने की कोशिश में हो।।
दोस्त ये बुझदिली हुई शहादत नहीं हुई।।

अंशुल ठाकुर 9974709671

©Ankush Thakur
  फिर

फिर #शायरी

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