a-person-standing-on-a-beach-at-sunset कितने बार भी दिल टूटे लेकिन लगाना नहीं छोड़ना चाहिए। कितनी बार भी हार जाओ लड़ना नहीं छोड़ना चाहिए। कितने भी बुरे लोग मिलें , भरोसे की उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। ये प्रेम, ये जिद, ये भरोसे की उम्मीद .. इसी में तो जीवन है. उम्मीद का मर जाना ही मृत्यु है। उम्मीद स्वयं जीवन है। कुछ अच्छा होने की उम्मीद ही सृजन का बीज है, सूत्र है . इसके बिना अच्छा घटित होने की परिस्थिति कैसे बनेगी ? अच्छाई एकांक में सर्वाइव कैसे करेंगी। इसके बिना तो जीवन मरुस्थल है। उम्मीद ही तरुवर है। बीमारियां, चोटें, घाव, धोखा, असफलता (प्रेम की हो या भौतिक जीवन की) ये बस एक पड़ाव हैं, अर्थविराम हैं ... कहानी यहां खत्म नहीं होती.. ये कहानी का अंत नहीं है. तो कभी कभी गुनगुना लिया करो कि ऊपर वाला जब साथी है, जीने की उमर बाकी है। #कालचक्र ©पूर्वार्थ #SunSet