चढ़ती धूप में छांव है मेरी मां, सुलगते शहर में गांव है मेरी मां, डूबते भवर में नाव है मेरी मां, मैं उड़ान ही पांव है मेरी मां, तुमसे क्या कहूं की क्या नहीं है मेरी मा। हमारा सुख और चैन की कड़ी है मां, सुबह से लेकर शाम का पोषण है मां, हम जैसे छोटे बीज का रोपण है मां, हमारे सुख के लिए सहती कुपोषण है मां, तुमसे क्या कहूं कि क्या नहीं है मेरी मां। रोज की ममता का बिखेरती साया है मां, अकेली रातों में मैंने तुमको पाया है मां, छुटपन में बहुत तुमको सताया है मां, ईश्वर की ही तुम एक काया हो मां, तुमसे क्या कहूं कि क्या नहीं है मेरी मा। विजेताओ का चयन आज शाम 4 बजे किया जाएगा। मित्रो, आज का शब्द है "मेरी माँ" Collab करें #writerskiduniya #wkd1 #collab #collaboration #challenge #YourQuoteAndMine