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कुछ ख़तों के सही ठिकाने नहीं हुआ करते.. शायद इसिल

कुछ ख़तों के सही ठिकाने नहीं हुआ करते.. 
शायद इसिलिए वो रख दिये जाते हैं संदूकों में कैद करके... 
ऐसा नहीं हैं की मैंने कोशिश नहीं की तुम तक पहुँचाने की.. 
हर उस जगह का पता लिखा जहाँ वक़्त गुज़रा था हमने.. 
जहाँ तुम मिले मुझे,जहाँ प्रेम में किये थे वादे तुमने
तुम तक न पहुँच सका प्रेम मेरा,ख़त मेरा... 
यकिनन तुम तक पहुँचता तो तुम लौट आते मेरे पास... 
ख़ैर कई दफ़ा ख़त लिखा मैंने तुम्हें,फिर छुपा दिया संदूक में.. 
ऐसा करते वक़्त आँखों के आसूं छुपाने लगती हूँ,तो कभी जी भर के रो पड़ती हूँ.. 
सोचती हूँ अगर तुम्हारा पता ठीक होता तो तुम्हारे लिए लिखें गए ख़त यूँ पड़े न होते.. 
शायद तुम्हारे उँगलियों के निशान होते उनपर या ख़त पर लिखा गया हर शब्द खुशी से प्रेम का इज़हार करता जिस प्रकार प्रेमिका प्रेमी को देख उसपर अपना सारा प्रेम लुटा देती हैं.. 
फ़िर लगता हैं ख़त तो लिखे जाते हैं, लेकिन कुछ ख़तों के सही ठिकाने नहीं होते..!!
❤❤❤

©सौम्या राय
  #Dark #gharzal