दिलरुबा चाहिए ज़िंदगी के लिए । यार दिल तो मिला आशिकी के लिए ।। वो मिलेगी यहीं ये मुझे है यकीं । बात यूँ ही नहीं आ जुबाँ पे टिकी ।। वो मिलेगी मुझे बंदगी के लिए । यार दिल तो मिला आशिकी के लिए ।। दिन बरसो गुजारे तड़प के यहाँ । एक दिन तो मिलेंगे जमीं आसमाँ ।। देख वो झुक रहा है जमीं के लिए। यार दिल तो मिला आशिकी के लिए ।। जाम हमने कभी भी उठाएँ नही । होठ से होठ अब तक मिलाएँ नही ।। आज सूखे वही मय कशी के लिए । यार दिल तो मिला आशिकी के लिए ।। ख्व़ाब किसके यहाँ सच हुएँ है बता । तू छुपा ले इसे मत किसी से जता यह मिलें बस तुझे रोशनी के लिए । यार दिल तो मिला आशिकी के लिए ।। दिलरुबा चाहिए ज़िन्दगी के लिए 1९/११/ २०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दिलरुबा चाहिए ज़िंदगी के लिए । यार दिल तो मिला आशिकी के लिए ।। वो मिलेगी यहीं ये मुझे है यकीं । बात यूँ ही नहीं आ जुबाँ पे टिकी ।। वो मिलेगी मुझे बंदगी के लिए । यार दिल तो मिला आशिकी के लिए ।।