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अब खुद से तो अक्सर रोज़ ही लड़ लेता था। न जाने कब

अब
खुद से तो अक्सर रोज़ ही लड़ लेता था।
न जाने कब मेरी किस्मत के पन्ने पलटे गे,
न जाने कब मैं ऊंचाइयों को छुउगा।
ऊपर वाला क्या कराना चाहता हैं मुझसे,
जो रोज़ मैं अपनी आदतें बदलता हूं।
क्या कमी रह गई हैं मेरी मेहनत में,
जो मैं कुछ भी हासिल नहीं कर पाता हूं।

©Unsaid_lafz
  waqt se jung 😔

#waqt #jung #Aadatein #kami #unchaiyon
divyaaarts9098

Unsaid_lafz

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