क्या हम सच में मना रहे अमृत महोत्सव क्या सच में हम है इतने समझदार, सशक्त। क्या दोष था उस नन्हे मासूम का प्यास अपनी बुझाने जब आगे बढ़ा दलित होने का अभिशाप जो इस देश से मिला आज़ाद होकर भी सिर्फ मौत ही मिला। शान तिरंगा मान तिरंगा अभिमान तिरंगा के साथ ये भी प्रण लेना है जो अभिशाप सदियों से लगा उसको मिटाना है। आरक्षण लेकर जो सुविधा ली उनको कर्ज चुकाना है सिर्फ अपने ही नही हर गरीब तबके को उठाना है। हर धर्म जाति से ऊपर उठकर देश है प्रथम यही नियम अपनाना है। #शान