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अँधियारी अमावस, ​और आँधियों की रात के बाद, ​सुबह स

अँधियारी अमावस,
​और आँधियों की रात के बाद,
​सुबह सुहानी थी आज,
​मैं मौन स्थिर सी खड़ी,
​मन की मुँडेर पर,
​एकटक निहार रही थी,
​उस निकलते आस के सूरज को,
प्रतिक्षा के ​आसमान की नीली चादर से,
​अँगड़ाई लेते हुए,
​
​रात बरसी नैनों की बारिश से,
​दिल की नदी में उफान था,
​दर्द की लहरें,
​खुशियों के शहरों और गलियों को,
​प्रेम के भवनों व अट्टालिकाओं को,
​समर्पण की सड़क एवं त्याग के चौराहों को,
​डुबो रही थी,
​ #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे

#उम्र_की_चिठ्ठी

​अँधियारी अमावस,
​और आँधियों की रात के बाद,
​सुबह सुहानी थी आज,
​मैं मौन स्थिर सी खड़ी,
अँधियारी अमावस,
​और आँधियों की रात के बाद,
​सुबह सुहानी थी आज,
​मैं मौन स्थिर सी खड़ी,
​मन की मुँडेर पर,
​एकटक निहार रही थी,
​उस निकलते आस के सूरज को,
प्रतिक्षा के ​आसमान की नीली चादर से,
​अँगड़ाई लेते हुए,
​
​रात बरसी नैनों की बारिश से,
​दिल की नदी में उफान था,
​दर्द की लहरें,
​खुशियों के शहरों और गलियों को,
​प्रेम के भवनों व अट्टालिकाओं को,
​समर्पण की सड़क एवं त्याग के चौराहों को,
​डुबो रही थी,
​ #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे

#उम्र_की_चिठ्ठी

​अँधियारी अमावस,
​और आँधियों की रात के बाद,
​सुबह सुहानी थी आज,
​मैं मौन स्थिर सी खड़ी,
akalfaaz9449

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