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उत्सुक मन कहता है: सर्द है मौसम बड़ा चल धूप सेकते

उत्सुक मन कहता है:
सर्द है मौसम बड़ा
चल धूप सेकते हैं, 
लेते लेते चाय की चुस्कियां
चल आंगन में बैठते हैं!! 

                  आलसी शरीर जवाब देता है:
                  नहीं हुई भोर अभी 
                  चल पलंग में लेटते हैं, 
                   बाकी है रात अभी 
                   थोड़ा और सोते हैं, 
                   निराशात्मक हक़ीक़त में नहीं आना मुझे
                   चल ख़्वाब देखते हैं!  लम्हा-लम्हा नई होती हुई ज़िंदगी के लिए
ख़्वाब भी नए-नए ज़रूरी होते हैं।

ज़िंदगी हर लम्हा यही कह रही है। चल #ख़्वाबदेखतेहैं #collab करें #yqdidi के साथ।
 #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
उत्सुक मन कहता है:
सर्द है मौसम बड़ा
चल धूप सेकते हैं, 
लेते लेते चाय की चुस्कियां
चल आंगन में बैठते हैं!! 

                  आलसी शरीर जवाब देता है:
                  नहीं हुई भोर अभी 
                  चल पलंग में लेटते हैं, 
                   बाकी है रात अभी 
                   थोड़ा और सोते हैं, 
                   निराशात्मक हक़ीक़त में नहीं आना मुझे
                   चल ख़्वाब देखते हैं!  लम्हा-लम्हा नई होती हुई ज़िंदगी के लिए
ख़्वाब भी नए-नए ज़रूरी होते हैं।

ज़िंदगी हर लम्हा यही कह रही है। चल #ख़्वाबदेखतेहैं #collab करें #yqdidi के साथ।
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darshanblon1957

Darshan Blon

New Creator

लम्हा-लम्हा नई होती हुई ज़िंदगी के लिए ख़्वाब भी नए-नए ज़रूरी होते हैं। ज़िंदगी हर लम्हा यही कह रही है। चल #ख़्वाबदेखतेहैं #Collab करें #yqdidi के साथ। #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi