हवा का रुख ना जाने जाने किस ओर है कोई कहता है तुफान मचा रही है तो कोई कहता है कमजोर है एक दिन हवा से मेने फुछ ही लिया आखिर बता तुझे लेकर जमाने में क्यू शोर है मेरी हकीकत में भी ना जानूं ना मेरा रंग है ना रुप है मेरे बहने से ना छांव है ना धूप है फिर भी ना जाने क्यों इन्सान समझता है मेरी रुख़ उसके ओर हैक्षं ©Tafizul Sambalpuri हवा का रुख