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याद जब भी तेरी आती है मुझे नया जख़्म देती है, ये

याद जब भी तेरी आती है मुझे नया जख़्म देती है, 
ये अलग बात है के ये दर्द मज़ा देती है; 

मेरे सीने में तेरे ग़म की बड़ी हलचल है,
बस यही ग़म तेरे होने का पता देती है; 

मेरे अंदर है अंधेरों का बसेरा कब से, 
मगर तेरी मोहब्बत ही मुझको जिन्दा रखती है;
 
अपनी आँखे मेरी आँखों में मिलाकर तू जानेमन,
एक बिजली मेरे सीने पर गिरा देती है;

याद जब भी तेरी आती है मुझे नया जख़्म देती है।।

©subhashroythought #thirtyninthquotesofmine
#Dard_e_dil 
#jakhmi_dil
याद जब भी तेरी आती है मुझे नया जख़्म देती है, 
ये अलग बात है के ये दर्द मज़ा देती है; 

मेरे सीने में तेरे ग़म की बड़ी हलचल है,
बस यही ग़म तेरे होने का पता देती है; 

मेरे अंदर है अंधेरों का बसेरा कब से, 
मगर तेरी मोहब्बत ही मुझको जिन्दा रखती है;
 
अपनी आँखे मेरी आँखों में मिलाकर तू जानेमन,
एक बिजली मेरे सीने पर गिरा देती है;

याद जब भी तेरी आती है मुझे नया जख़्म देती है।।

©subhashroythought #thirtyninthquotesofmine
#Dard_e_dil 
#jakhmi_dil