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White सब जिनके लिए झोलियां फैलाए हुए हैं वो रंग मे

White सब जिनके लिए झोलियां फैलाए हुए हैं
वो रंग मेरी आंख के ठुकराए हुए हैं

इक तुम हो कि शोहरत की हवस ही नहीं जाती
इक हम हैं कि हर शोर से उकताए हुए हैं 

दो चार सवालात में खुलने के नहीं हम
ये उक़दे तेरे हाथ के उलझाए हुए हैं

अब किसके लिए लाए हो ये वादे कश्मे 
हम ख़्वाब की दुनिया से निकल आए हुए हैं

हर बात को बेवजह उदासी पे ना डालो
हम फूल किसी वजह से कुम्हलाए हुए हैं

कुछ भी तेरी दुनिया में नया ही नहीं लगता
लगता है कि पहले भी यहां आए हुए हैं

है देखने वालों के लिए और ही दुनिया
जो देख नहीं सकते वो घबराए हुए हैं 


            फ़रीहा नक़वी

©विमोहक काव्य लेखनी
  #शोर