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वोट की चोट औरचोट की वोट जो जीते वही सिकन्दर होता ह

वोट की चोट औरचोट की वोट
जो जीते वही सिकन्दर होता है।
जैसे डार्विन और बन्दर में बन्दर,
'आप' का पुर्खा होता है।

हम उसे 'सिकन्दर' ही क्यों माने
जैसे बन्दर पर ये ज़माना
एक मत कहाँ होता है।


  ये जो अतिक्रमणियों ने रास्तों के नाम बदले थे
क्यों बदले थे? क्योंकि इतिहास में बहुत कुछ मिटाना होता है। 

इसे कहते हैं कि ऐसे ही नामोनिशान मिटता है
एक अदद कौशिश है दर्द तो होता है जब इतिहास पलटता है History repeats itself
दर्द तो होता है जब इतिहास पलटता है।
वोट की चोट औरचोट की वोट
जो जीते वही सिकन्दर होता है।
जैसे डार्विन और बन्दर में बन्दर,
'आप' का पुर्खा होता है।

हम उसे 'सिकन्दर' ही क्यों माने
जैसे बन्दर पर ये ज़माना
एक मत कहाँ होता है।


  ये जो अतिक्रमणियों ने रास्तों के नाम बदले थे
क्यों बदले थे? क्योंकि इतिहास में बहुत कुछ मिटाना होता है। 

इसे कहते हैं कि ऐसे ही नामोनिशान मिटता है
एक अदद कौशिश है दर्द तो होता है जब इतिहास पलटता है History repeats itself
दर्द तो होता है जब इतिहास पलटता है।