White वो मेरी अंधेरों से पहरेदारी आज भी करती है अपने प्यार का जलता चिराग आज भी दिखाया करती है मुझे हवाओं की झूठी कसमें आज भी खिलाया करती है आले में तो कभी दहलीज पर बैठकर मेरे इश्क के गीत आज भी गुनगुनाया करती है मुझ पतंगे को अपनी आग में आज भी जलाया करती है उसको मेरी आज भी याद आया करती है ऐसा मुझे संदेशों में बताया करती है मुझे तेल तो खुद को बाती बताया करती है अंधेरी रातों से अपना रिश्ता बताया करती है इस इश्क को मुकम्मल चिराग बताया करती है ©कवि- जीतू जान #moon_day hindi poetry