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दुपट्टा   दुल्हन  की  शान  होता  है साहिब-ए-'इज़्

दुपट्टा   दुल्हन  की  शान  होता  है 
साहिब-ए-'इज़्ज़-ओ-शान होता हैं 

दु'आ   -ए-  ख़ैर  का  दुल्हन  पर
इक        अहसान       होता    हैं 

निभाना   ये    रिश्ता   -ए-  गौहर
के लूटाना  ये  तो  दान  होता  हैं 

जो उड़ाते हैं दुल्हन को रिदा-पोश 
वो  गुल  गुल -ए-  बदन  होता  हैं 

दहलीज़-ए-वालिद-ए-माजिद के 
दुल्हन  का  घर धड़कन  होता हैं 

गुल  -  पैरहन   में   दुल्हन  का 
पिंहाँ रूख़ में गुल-बरन होता है

गुलरेज़    आये   बनकर "ज़ुबैर"
मेहमान न कभी अनजान होता हैं 




लेखक - ज़ुबैर खांन.......📝

©SZUBAIR KHAN KHAN Dupatta 
Writer - zubair Khan 

#kissday
दुपट्टा   दुल्हन  की  शान  होता  है 
साहिब-ए-'इज़्ज़-ओ-शान होता हैं 

दु'आ   -ए-  ख़ैर  का  दुल्हन  पर
इक        अहसान       होता    हैं 

निभाना   ये    रिश्ता   -ए-  गौहर
के लूटाना  ये  तो  दान  होता  हैं 

जो उड़ाते हैं दुल्हन को रिदा-पोश 
वो  गुल  गुल -ए-  बदन  होता  हैं 

दहलीज़-ए-वालिद-ए-माजिद के 
दुल्हन  का  घर धड़कन  होता हैं 

गुल  -  पैरहन   में   दुल्हन  का 
पिंहाँ रूख़ में गुल-बरन होता है

गुलरेज़    आये   बनकर "ज़ुबैर"
मेहमान न कभी अनजान होता हैं 




लेखक - ज़ुबैर खांन.......📝

©SZUBAIR KHAN KHAN Dupatta 
Writer - zubair Khan 

#kissday