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" कहीं मिलती तो क्या बात होती , हसरतों की कौन सी आ

" कहीं मिलती तो क्या बात होती ,
हसरतों की कौन सी आगाज होती ,
ठहरे से हम हैं कहीं रुके थमे तुम भी हो ,
कहीं मिले तो फिर कौन सी जाम होगी." 

                         --- रबिन्द्र राम " कहीं मिलती तो क्या बात होती ,
हसरतों की कौन सी आगाज होती ,
ठहरे से हम हैं कहीं रुके थमे तुम भी हो ,
कहीं मिले तो फिर कौन सी जाम होगी." 

                         --- रबिन्द्र राम
" कहीं मिलती तो क्या बात होती ,
हसरतों की कौन सी आगाज होती ,
ठहरे से हम हैं कहीं रुके थमे तुम भी हो ,
कहीं मिले तो फिर कौन सी जाम होगी." 

                         --- रबिन्द्र राम " कहीं मिलती तो क्या बात होती ,
हसरतों की कौन सी आगाज होती ,
ठहरे से हम हैं कहीं रुके थमे तुम भी हो ,
कहीं मिले तो फिर कौन सी जाम होगी." 

                         --- रबिन्द्र राम

" कहीं मिलती तो क्या बात होती , हसरतों की कौन सी आगाज होती , ठहरे से हम हैं कहीं रुके थमे तुम भी हो , कहीं मिले तो फिर कौन सी जाम होगी." --- रबिन्द्र राम