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उनसे मिलने की चाहत, बड़ी पुर-जोर होती है, आजकल तन्

उनसे मिलने की चाहत, बड़ी पुर-जोर होती है,
आजकल तन्हाईयाँ मेरी, अनोखा शोर होती है!

बदलता रहता हूँ करवटें, मैं बिस्तर पर लेटे - लेटे,
जाने अब बाद-ए-सबा, उनकी किस ओर होती है!

बस तकती हैं उनका रस्ता, पलकें बिछाए आँखें,
वो आते नहीं, तो इनसे बारिश, घनघोर होती है!

उनकी सूरत हर किसी में, आती नज़र है मुझको,
बता क्या इश्क़ करने से,  आंखें कमजोर होती है! 

बस एक ही दुआ, या रब, जो भी मिले ना बिछड़े, 
टूटे ना कभी जो, "अमर" इश्क की डोर होती है! #love
उनसे मिलने की चाहत, बड़ी पुर-जोर होती है,
आजकल तन्हाईयाँ मेरी, अनोखा शोर होती है!

बदलता रहता हूँ करवटें, मैं बिस्तर पर लेटे - लेटे,
जाने अब बाद-ए-सबा, उनकी किस ओर होती है!

बस तकती हैं उनका रस्ता, पलकें बिछाए आँखें,
वो आते नहीं, तो इनसे बारिश, घनघोर होती है!

उनकी सूरत हर किसी में, आती नज़र है मुझको,
बता क्या इश्क़ करने से,  आंखें कमजोर होती है! 

बस एक ही दुआ, या रब, जो भी मिले ना बिछड़े, 
टूटे ना कभी जो, "अमर" इश्क की डोर होती है! #love