जिंदगी (बवाला) बेफिक्र हैं हम बाल अब काला नहीं रहा अब लुटने-लुटाने का झमाला नहीं रहा अब हंस भी दें तो विनय कोई टोकता नहीं अब हंसते हैं दिल खोलकर ताला नहीं रहा आते हैं कई चांद नजर रफ्ते राह में होती है मुलाकात मगर रफ्ते राह में खुलती तो है खिड़की मगर कुछ सूझता नहीं अब सूरत-ए-अपनी वो जमाला नहीं रहा फूलों में वही खुशबू है बागों में सुखन है अब अपनी आंख में वो उजाला नहीं रहा अच्छा हुआ अब चैन से चलती है जिंदगी अच्छा हुआ विनय अब बवाला नहीं रहा ©writervinayazad जिंदगी (बवाला) बेफिक्र हैं हम बाल अब काला नहीं रहा अब लुटने-लुटाने का झमाला नहीं रहा अब हंस भी दें तो विनय कोई टोकता नहीं अब हंसते हैं दिल खोलकर ताला नहीं रहा आते हैं कई चांद नजर रफ्ते राह में