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नदी को लिखना सहज नहीं रहा बहना पड़ा डूबकर उतरना प

नदी को लिखना 
सहज नहीं रहा
बहना पड़ा 
डूबकर उतरना पड़ा
उद्गम से समागम तक
कइयों बार।
पर मैं फिर भी लिखने में असमर्थ रही
धीरे-धीरे कटकर
नदी संग बह जाने वाले 
किनारों की 
अनकही व्यथा।

बारिशों को लिखना 
सरल नहीं रहा
सीखना पड़ा
बिन भेदभाव 
भीगना और
भिगाना।
पर मैं नहीं लिख पाई
दर-दर भटकर
नमी बटोरते 
बादलों की 
अथक यात्रा।

ऐसे ही
प्रत्येक लिखत में 
नदियों संग होते हैं
कुछ किनारे भी 
और बारिशों संग  
कुछ बादल भी।
व्यक्त के साथ
बहुत कुछ 
छूट जाता है
कहीं पीछे
अव्यक्त भी।
--सुनीता डी प्रसाद💐💐

 #व्यक्त-अव्यक्त.....

नदी को लिखना 
सहज नहीं रहा
बहना पड़ा 
डूबकर उतरना पड़ा
उद्गम से समागम तक
कई बार।
नदी को लिखना 
सहज नहीं रहा
बहना पड़ा 
डूबकर उतरना पड़ा
उद्गम से समागम तक
कइयों बार।
पर मैं फिर भी लिखने में असमर्थ रही
धीरे-धीरे कटकर
नदी संग बह जाने वाले 
किनारों की 
अनकही व्यथा।

बारिशों को लिखना 
सरल नहीं रहा
सीखना पड़ा
बिन भेदभाव 
भीगना और
भिगाना।
पर मैं नहीं लिख पाई
दर-दर भटकर
नमी बटोरते 
बादलों की 
अथक यात्रा।

ऐसे ही
प्रत्येक लिखत में 
नदियों संग होते हैं
कुछ किनारे भी 
और बारिशों संग  
कुछ बादल भी।
व्यक्त के साथ
बहुत कुछ 
छूट जाता है
कहीं पीछे
अव्यक्त भी।
--सुनीता डी प्रसाद💐💐

 #व्यक्त-अव्यक्त.....

नदी को लिखना 
सहज नहीं रहा
बहना पड़ा 
डूबकर उतरना पड़ा
उद्गम से समागम तक
कई बार।

#व्यक्त-अव्यक्त..... नदी को लिखना सहज नहीं रहा बहना पड़ा डूबकर उतरना पड़ा उद्गम से समागम तक कई बार। #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo