आस्तीन के सांप।।। कब तक देश संभालेगा, अब नए नए जयचंदो को। कब तक जनता देगी बढ़ावा, कुत्सित कुंठित इन धंधों को। बहुत हुआ अब ये न चलेगा, न आस्तीन में सांप पलेगा। दुश्मन की जो बोलेगा भाषा, जनता को जो देगा झांसा, अब सबको उठना होगा, गुस्से को भी फूटना होगा, कब तक मां बर्दाश्त करेगी, अपने जने कपूतों को, अब तो जगह दिखानी होगी, ऐसे लातों के भूतों को। आर्मी झूठी, नेवी झूठी, देश को भी कह देंगे झूठ। अपने होने का संदेह भी इनको, मां बाप से भी मांगेंगे सबूत। जैसी जनता नेता वैसा, ये होता है सबपर लागू। कहाँ कभी देखा है तुमने, साधुजनों का राजा डाकू। ©रजनीश "स्वछंद" #NojotoQuote आस्तीन के सांप।।। कब तक देश संभालेगा, अब नए नए जयचंदो को। कब तक जनता देगी बढ़ावा, कुत्सित कुंठित इन धंधों को। बहुत हुआ अब ये न चलेगा, न आस्तीन में सांप पलेगा।