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मैंने कब कहां कोई मेरे साथ चले, हां चाहा जरूर की म

मैंने कब कहां कोई मेरे साथ चले,
हां चाहा जरूर की मेरे पास चले,
इन तन्हा सी रहो में हमनवा कोई साथ चले,
जैसे दिल के साथ धड़कन, सांसों के साथ जिंदगी ,
 लबों पर मुस्कान खिले,
हां चाहा जरूर जिंदगी में कोई हमसफर यूं मिले 
जैसे कलम के साथ कागज और अल्फाज चले ,
मैंने कब कहां कोई मेरे साथ चले,
हां चाहा जरूर की मेरे पास चले।।

©Sumit shukla Ss मैंने कब कहां कोई मेरे साथ चले,
हां चाहा जरूर की मेरे पास चले,
इन तन्हा सी रहो में हमनवा कोई साथ चले,
जैसे दिल के साथ धड़कन, सांसों के साथ जिंदगी ,
 लबों पर मुस्कान खिले,
हां चाहा जरूर जिंदगी में कोई हमसफर यूं मिले 
जैसे कलम के साथ कागज और अल्फाज चले ,
मैंने कब कहां कोई मेरे साथ चले,
मैंने कब कहां कोई मेरे साथ चले,
हां चाहा जरूर की मेरे पास चले,
इन तन्हा सी रहो में हमनवा कोई साथ चले,
जैसे दिल के साथ धड़कन, सांसों के साथ जिंदगी ,
 लबों पर मुस्कान खिले,
हां चाहा जरूर जिंदगी में कोई हमसफर यूं मिले 
जैसे कलम के साथ कागज और अल्फाज चले ,
मैंने कब कहां कोई मेरे साथ चले,
हां चाहा जरूर की मेरे पास चले।।

©Sumit shukla Ss मैंने कब कहां कोई मेरे साथ चले,
हां चाहा जरूर की मेरे पास चले,
इन तन्हा सी रहो में हमनवा कोई साथ चले,
जैसे दिल के साथ धड़कन, सांसों के साथ जिंदगी ,
 लबों पर मुस्कान खिले,
हां चाहा जरूर जिंदगी में कोई हमसफर यूं मिले 
जैसे कलम के साथ कागज और अल्फाज चले ,
मैंने कब कहां कोई मेरे साथ चले,

मैंने कब कहां कोई मेरे साथ चले, हां चाहा जरूर की मेरे पास चले, इन तन्हा सी रहो में हमनवा कोई साथ चले, जैसे दिल के साथ धड़कन, सांसों के साथ जिंदगी , लबों पर मुस्कान खिले, हां चाहा जरूर जिंदगी में कोई हमसफर यूं मिले जैसे कलम के साथ कागज और अल्फाज चले , मैंने कब कहां कोई मेरे साथ चले, #alone #शायरी