इतनी तो गुस्ताख़ी हो जाएगी दिले गुस्ताख से, तुम श्मशान में आ कर लीपटोगी मेरी राख से। रोते सिसकते तेरे ज़हन में रहेगी एक तमन्ना यही, काश! चंद अल्फ़ाज़ कह देते उठकर इत्तेफ़ाक़ से।। ✍️"हुड्डन"🙏 #इत्तेफ़ाक़