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हो दोपहर की नींद जैसी ज़िन्दगी तो बात क्या हो चाय ज

हो दोपहर की नींद जैसी
ज़िन्दगी तो बात क्या
हो चाय जैसी शाम तो
उबासियों का काम क्या

हो धूप में जो नर्मियाँ
तो रूत नई बहार क्या
हो नींद का नशा बहुत
तो मैख़ाने का काम क्या

हो होठों पे पैगाम अगर
तो धड़कनों का नाम क्या
हो दिन की मस्त चांदनी
तो रात का है काम क्या

हो आम सा वो दिन बड़ा
तो ख़ास का अभिमान क्या
हो वक़्त से फुर्सत कभी
तो सोचें जिंदिगी का काम क्या

हो सादगी में बात कुछ
तो फूहड़ता का मोल क्या
हो फ़तेह की जो लालसा
तो शिकश्त का है काम क्या

हो बारिश की जो बूंद चंद
तो सैलाब का है काम क्या
हो मंद सी मुस्कान
तो ठहाको का काम क्या

                           - उज्जवल #dopeharkineend #Zindagi #kaam #thought #poetry
हो दोपहर की नींद जैसी
ज़िन्दगी तो बात क्या
हो चाय जैसी शाम तो
उबासियों का काम क्या

हो धूप में जो नर्मियाँ
तो रूत नई बहार क्या
हो नींद का नशा बहुत
तो मैख़ाने का काम क्या

हो होठों पे पैगाम अगर
तो धड़कनों का नाम क्या
हो दिन की मस्त चांदनी
तो रात का है काम क्या

हो आम सा वो दिन बड़ा
तो ख़ास का अभिमान क्या
हो वक़्त से फुर्सत कभी
तो सोचें जिंदिगी का काम क्या

हो सादगी में बात कुछ
तो फूहड़ता का मोल क्या
हो फ़तेह की जो लालसा
तो शिकश्त का है काम क्या

हो बारिश की जो बूंद चंद
तो सैलाब का है काम क्या
हो मंद सी मुस्कान
तो ठहाको का काम क्या

                           - उज्जवल #dopeharkineend #Zindagi #kaam #thought #poetry
ujjwalkumar3827

Ujjwal Kumar

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