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# "भूली-बिसरी कोई याद, छेड़ती आई | English Poetry

"भूली-बिसरी कोई याद,
छेड़ती आई पुरानी बात;
इन पलकों पर पलनी है,
नींद की चादर छलनी है।
याद अपना नश्तर चलाकर,
दिल में कोई दर्द उठाकर;
एहसास बनकर उतरनी है,
नींद की चादर छलनी है।
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Anjali Singhal

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"भूली-बिसरी कोई याद, छेड़ती आई पुरानी बात; इन पलकों पर पलनी है, नींद की चादर छलनी है। याद अपना नश्तर चलाकर, दिल में कोई दर्द उठाकर; एहसास बनकर उतरनी है, नींद की चादर छलनी है। #Poetry #AnjaliSinghal

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