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स्वर्ग के बोधि वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ समाध

स्वर्ग के   बोधि  वृक्ष  के  नीचे 
सिद्धार्थ  समाधि से  बाहर  आये हैँ   आज  
पचीस सौ वर्ष  बाद 
उन्होंने महसूस  किया   कि  धरती  पर लोग  आजभी  
मुक्ति के लिए    पुनरपाठ   कर रहे हैँ  पर  मुक्त  नहीं  हो  पा रहे हैँ 
सुख  दुःखमेभी  वे  समभाव नहीं रख  पा रहे  हैँ 
धरा पर  अंगुलिमालो की   अमरबेल   उग  आई हैँ 
जो  हिंसा  औऱ वध  करने  के नए   तरीके  भी  ईजाद  करचुकेहै 
औऱ  खासबात ये कि  इनके  उन्माद   पर  लगाम  कसने   के लिए 
कोई  अवतार भी इस  पतित धरती  पर     उतरा  नहीं सिद्धार्थ  की  चिंता........
स्वर्ग के   बोधि  वृक्ष  के  नीचे 
सिद्धार्थ  समाधि से  बाहर  आये हैँ   आज  
पचीस सौ वर्ष  बाद 
उन्होंने महसूस  किया   कि  धरती  पर लोग  आजभी  
मुक्ति के लिए    पुनरपाठ   कर रहे हैँ  पर  मुक्त  नहीं  हो  पा रहे हैँ 
सुख  दुःखमेभी  वे  समभाव नहीं रख  पा रहे  हैँ 
धरा पर  अंगुलिमालो की   अमरबेल   उग  आई हैँ 
जो  हिंसा  औऱ वध  करने  के नए   तरीके  भी  ईजाद  करचुकेहै 
औऱ  खासबात ये कि  इनके  उन्माद   पर  लगाम  कसने   के लिए 
कोई  अवतार भी इस  पतित धरती  पर     उतरा  नहीं सिद्धार्थ  की  चिंता........

सिद्धार्थ की चिंता........