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मोहब्त थी हमसे इतनी अगर। तो क्यो फिर मुझको जाने दि

मोहब्त थी हमसे इतनी अगर।
तो क्यो फिर मुझको जाने दिया ।
आबाज़ दी होती , बस एक बार
न रोते नैना मेरे, न यू रोता तेरा जिया।
बिछड़ते न इस तरह ,कि फिर मिलना न हुआ।
आबाज़ की बेड़िया बांधी तो होती मेरे पाँव में
शब्दो से अगर होता , मेरे ह्रदय को तुमने सिया
न बुझता कभी फिर हमारे ,रिश्तो का दीया।
रोका भी नही ,और न रुकने की कोई बजह ही दिया।
मोहब्त थी हमसे इतनी अगर।
तो फिर क्यों मुझको जाने दिया। इतना भी नहीं किया बिछड़ने वालों ने कि एक दूसरे के पाँव में अपनी आवाज़ की ज़ंजीर ही डाल देते।
#रोकानहीं #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
मोहब्त थी हमसे इतनी अगर।
तो क्यो फिर मुझको जाने दिया ।
आबाज़ दी होती , बस एक बार
न रोते नैना मेरे, न यू रोता तेरा जिया।
बिछड़ते न इस तरह ,कि फिर मिलना न हुआ।
आबाज़ की बेड़िया बांधी तो होती मेरे पाँव में
शब्दो से अगर होता , मेरे ह्रदय को तुमने सिया
न बुझता कभी फिर हमारे ,रिश्तो का दीया।
रोका भी नही ,और न रुकने की कोई बजह ही दिया।
मोहब्त थी हमसे इतनी अगर।
तो फिर क्यों मुझको जाने दिया। इतना भी नहीं किया बिछड़ने वालों ने कि एक दूसरे के पाँव में अपनी आवाज़ की ज़ंजीर ही डाल देते।
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इतना भी नहीं किया बिछड़ने वालों ने कि एक दूसरे के पाँव में अपनी आवाज़ की ज़ंजीर ही डाल देते। #रोकानहीं #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi