हम कांटों में ही रहेंगे ... क्योंकि कांटों में ही फूल खिलते है, मरुस्थल के रेत में तो तासीर उदासीन मिलेगी | हम कांटों में ही रहेंगे ... क्योंकि कांटों में ही फूल खिलते है, मरुस्थल के रेत में तो तासीर उदासीन मिलेगी |