साधु इश्क़ का ज़हर पिये जग से नाता छूटे रे मन अकेल प्रेम कहे प्यास लिए तन भटके रे। धीरे धीरे धुआं उठे तन से आग लिपटे रे जब नैन से नैन लड़ जावे जियारा धक-धक धड़के रे ।। ©Golu Kr Singh साधु और प्रेम #intimacy #Love