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हसरतें दिल में दबाये बैठे हैं, गुजरते हर पल पर नज

हसरतें दिल में दबाये बैठे हैं, 
गुजरते हर पल पर नजर बनाये बैठे हैं। 
काश!थोड़ा ठहर जाए वक़्त का ये मजमा, 
दीदार को उनके अरमान जगाये बैठे हैं। ।
उठ रहे दिल में ढेरों खयाल, 
दफ्न हो चुके भरकम मलाल;
मन बावरा होने को आया, 
तमन्ना _ए _इश्क में आश लगाये बैठे हैं। ।
मसले बिगड़ न जाये, 
रूख हवा का मुड़ न जाये, 
कैद हो चुकी अब तो मुहब्बत दिल की जंजीरों में, 
बस एहसास को छुपाये बैठे हैं। ।
थम सा गया हूँ जज्बातों के इस डगर में, 
भूल चुका अपना मुकाम, 
शायद निकले उनके हुस्न का कोई काफिला इधर;
राहों में चाहतों के चादर बिछाये बैठे हैं। ।
कहने को तो बहुत है मगर, 
लिखने को अल्फाज़ नहीं, 
सहमी सी नजरें हैं पर, 
इजहार का कोई अंदाज नहीं। 
इजाजत मिलेगी किसी दिन, 
इंतजार में लेखनी को पन्नों में दबाये बैठे हैं। ।।
written by।।।।
संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी

©Santosh Verma
  चाहत। ।।।

चाहत। ।।। #कविता

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