ये कैसी हवा फिज़ाओ में आज देखो चल रही, जहा सीने से लगा कर प्यार जताते थे सभी इक दूजे से, आज दूर दूर से प्यार निभाते है सभी इक दूजे से , फैला है जो जहर जहाँ में इसे मानवता से हराना है, धर्म जाती मे नहीं उलझना मिल कर देश बचाना है, कुछ असहाय फंसे हुए हे बाहर सड़को पर देखो, कोई भूखा रह ना जाए,सूखी रोटी भी मत फेंको, आन पड़ा हैं समय विकट , कुछ दिन में बीत जायेगा, इसके जाने तक शायद इंसान इंसान से मिल पायेगा, बंद पड़े है मंदिर मस्जिद ,बंद पड़े गुरुद्वारा चर्च, अस्पतालों मे मानव निभा रहे है अपना फर्ज , संकल्प बस इतना सा ही हमको स्वयं से करना है, लड़ना है इस संकट से आपस में नहीं लड़ना है, माधवी हरितस बचाव