एक दीप तेरे नाम का देहरी पर सजाया ख्याल तुम्हारा ही आया लगा मुझे बिखरी जुल्फों से चाँद उभर आया भूल गया कभी थी तुम मेरी चाँदनी तेरा जुदा होना दिल को न भाया गुजरा जमाना दीपक की रोशनी बन उभर आया याद करना एक दीप मेरे नाम का तुम भी जलाना आरजू इतनी ही करना ये जुदाई फिर न हो तुम बिन फिर कोई दीपावली हम दोनों की कभी न हो ©Kamal bhansali एक दीप तेरे नाम को