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White कोई चेहरा हुआ रोशन न उजागर आंखें आईना देख र

White कोई चेहरा हुआ रोशन न उजागर आंखें
आईना देख रही थी मेरी पत्थर आंखें

ले उडी वक़्त की आंधी जिन्हे अपने हमराह
आज फिर ढूंढ रही है वही मंज़र आंखें

फूट निकली तो कई शहर-ए-तमन्ना डूबे
एक क़तरे को तरसती हुई बंजर आंखें

उस को देखा है तो अब शौक़ का वो आलम है
अपने हलकों से निकल आई हैं बाहर आंखें

तू निगाहों की जुबां खूब समझता होगा
तेरी जानिब तो उठा करती हैं अक्सर आंखें

©Deepbodhi #Thinking  Hinduism hindi shayari Aaj Ka Panchang shayari love zindagi sad shayari
White कोई चेहरा हुआ रोशन न उजागर आंखें
आईना देख रही थी मेरी पत्थर आंखें

ले उडी वक़्त की आंधी जिन्हे अपने हमराह
आज फिर ढूंढ रही है वही मंज़र आंखें

फूट निकली तो कई शहर-ए-तमन्ना डूबे
एक क़तरे को तरसती हुई बंजर आंखें

उस को देखा है तो अब शौक़ का वो आलम है
अपने हलकों से निकल आई हैं बाहर आंखें

तू निगाहों की जुबां खूब समझता होगा
तेरी जानिब तो उठा करती हैं अक्सर आंखें

©Deepbodhi #Thinking  Hinduism hindi shayari Aaj Ka Panchang shayari love zindagi sad shayari
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Deepbodhi

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