सच्चा प्रेम तन को कहां छूता हैं वो आता है मन में कुछ देर भुलाता है सबकुछ, वो काट देता है इस दुनियां से , जी के जंजालों से और ले जाता है उस किनारे की ओर जहां सुकून और प्रेम की लहरे, मन तरंग को फिर जी उठने के काबिल बना देती है फिर से भूलने की राहिल बना देती हैं सच्चा प्रेम तन को कहां छूता हैं #neerajwrites सच्चा प्रेम तन को कहां छूता हैं