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इस्ताफ से मिले थे अनजाने बन कर कब दोस्त बन गए पता

इस्ताफ से मिले थे अनजाने बन कर
कब दोस्त बन गए पता ही नहीं चला
मिले तो बहुत थे अनजाने बनकर
पर तुम कब मेरे करीब हो गई पता ही भी चला
तुम से बात करना अच्छा लगता है
तुम्हारे कॉल का इंतजार करना और भी अच्छा लगता है
हर बात पर चल रहने दो बोलना तुम्हारी आदत है
तुम्हे गुस्सा करना मेरी आदत है
मुझे गुस्सा दिलाना तुम्हारी आदत है
कभी कभी तो तुम पर बड़ा गुस्सा आता है
ज्यादा देर गुस्सा रह नहीं सकता
तुम्हे अपनी सारी दिल की बात बताता हूं
दोस्त तो बहुत है मेरे पर तुम सबसे अलग हो
में तुम्हारी दोस्त हूं ये तुम्हारी किस्मत है
हर बात पर मजाक करना मेरी आदत है
जब तुम दूर जाती हो तो बहुत बुरा लगता है
तुमसे मिलकर दिल को बड़ा सुकून मिलता है
तुम मेरी दोनों आंखों में बसी हूं
तुम्हे देख लूं तो सुबह अच्छी होती है
तुम्हारे बिना तो दिन भी दिन सा नहीं लगता 
             लेखिका : आशिका  (रेशू) जैन

©writer Aashika Jain
  प्यार की शुरूआत

प्यार की शुरूआत #लव

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