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मोहब्बत की कोई भी कहानी अब मुक्कमल नहीं होनी थी...

मोहब्बत की कोई भी कहानी
अब मुक्कमल नहीं होनी थी....

(शेष कैप्शन में) लाट साहब जब महानगर से पढ़कर लौटे
तो उन्होंने भी यही कहा
देखो आजकल की लकड़ियां अपनी सूरत देखे बग़ैर
कैसे लड़कों पर टूट पड़ती हैं
पर तुम कितनी धीर गंभीर हो
"अपनी हैसियत बिन कहे ही समझती हो"
ये बात कहे बगैर सौ बार सुनाई गई
जब बहन ने कई बार इशारों में मेरी उम्र और मेरी तनहाई का जिक्र किया
मोहब्बत की कोई भी कहानी
अब मुक्कमल नहीं होनी थी....

(शेष कैप्शन में) लाट साहब जब महानगर से पढ़कर लौटे
तो उन्होंने भी यही कहा
देखो आजकल की लकड़ियां अपनी सूरत देखे बग़ैर
कैसे लड़कों पर टूट पड़ती हैं
पर तुम कितनी धीर गंभीर हो
"अपनी हैसियत बिन कहे ही समझती हो"
ये बात कहे बगैर सौ बार सुनाई गई
जब बहन ने कई बार इशारों में मेरी उम्र और मेरी तनहाई का जिक्र किया
pratimatr9567

Vidhi

New Creator

लाट साहब जब महानगर से पढ़कर लौटे तो उन्होंने भी यही कहा देखो आजकल की लकड़ियां अपनी सूरत देखे बग़ैर कैसे लड़कों पर टूट पड़ती हैं पर तुम कितनी धीर गंभीर हो "अपनी हैसियत बिन कहे ही समझती हो" ये बात कहे बगैर सौ बार सुनाई गई जब बहन ने कई बार इशारों में मेरी उम्र और मेरी तनहाई का जिक्र किया #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #collabwithme #yqaestheticthoughts #ATrosespic_