लाट साहब जब महानगर से पढ़कर लौटे
तो उन्होंने भी यही कहा
देखो आजकल की लकड़ियां अपनी सूरत देखे बग़ैर
कैसे लड़कों पर टूट पड़ती हैं
पर तुम कितनी धीर गंभीर हो
"अपनी हैसियत बिन कहे ही समझती हो"
ये बात कहे बगैर सौ बार सुनाई गई
जब बहन ने कई बार इशारों में मेरी उम्र और मेरी तनहाई का जिक्र किया #yqbaba#yqdidi#YourQuoteAndMine#collabwithme#yqaestheticthoughts#ATrosespic_