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" लिखूं कि क्या लिखूं मैं इश्क एहसास हो जाये , कि

" लिखूं कि क्या लिखूं मैं इश्क एहसास हो जाये ,
कि मेरी मुहब्बत इस मर्तबा अंदाजे बयान हो जाये ,
कि अब कोई जान नहीं पर रही इस एहसास में ,
मेरे इस हलफनामे में किसी एक खास शख्स का नाम तो आ जाये ." 

                                   --- रबिन्द्र राम
 Pic : pexels.com

" लिखूं कि क्या लिखूं मैं इश्क एहसास हो जाये ,
कि मेरी मुहब्बत इस मर्तबा अंदाजे बयान हो जाये ,
कि अब कोई जान नहीं पर रही इस एहसास में ,
मेरे इस हलफनामे में किसी एक खास शख्स का नाम तो आ जाये ." 

                                   --- रबिन्द्र राम
" लिखूं कि क्या लिखूं मैं इश्क एहसास हो जाये ,
कि मेरी मुहब्बत इस मर्तबा अंदाजे बयान हो जाये ,
कि अब कोई जान नहीं पर रही इस एहसास में ,
मेरे इस हलफनामे में किसी एक खास शख्स का नाम तो आ जाये ." 

                                   --- रबिन्द्र राम
 Pic : pexels.com

" लिखूं कि क्या लिखूं मैं इश्क एहसास हो जाये ,
कि मेरी मुहब्बत इस मर्तबा अंदाजे बयान हो जाये ,
कि अब कोई जान नहीं पर रही इस एहसास में ,
मेरे इस हलफनामे में किसी एक खास शख्स का नाम तो आ जाये ." 

                                   --- रबिन्द्र राम