कुर्बानी ======== घमंड ,अकड़,अहम कहां कुर्बान करते हैं महफ़िल में बस मैं, मैं हुं का गुणगान करते हैं हमारा बकरा तुम्हारे बकरे से है तगड़ा यही बातें तो कल्लू और सलमान करते हैं हमारा शाहरूख है बड़े अच्छे नस्ल का सुन हम रात-दिन खुद को बहुत हलकान करते हैं मकसदे कुर्बानी को नासमझों ने बकरे तक जाना जो है मकसदे कुर्बानी उसे कहां ध्यान करते हैं कहा था इब्राहिम ने बेटे से हमने ख्वाब देखा है कहा बेटे ने होगा ख्वाब वह पुरा ये वादा हम अब्बु जान करते हैं फक्त वह गुफ्तगू नहीं थी एक बाप बेटे की खुदा खूद कुर्आन में ये ऐलान करते हैं जो अपनी हस्ती को मिटा दे राह में मेरे रहेगा वो जिंदा ता कयामत ये वादा हम सरे आम करते हैं ©Qamar Abbas #eidulAzha