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यें मेरी मुहब्बत, मेरी चाहतें इक़ तरफा थीं शायद मे

यें मेरी मुहब्बत, मेरी चाहतें इक़ तरफा थीं शायद 
मेरी मंज़िल, मेरी राहे, मेरी नहीं रहतीं हमारी होती.!!

©Shreyansh Gaurav #Two liner
यें मेरी मुहब्बत, मेरी चाहतें इक़ तरफा थीं शायद 
मेरी मंज़िल, मेरी राहे, मेरी नहीं रहतीं हमारी होती.!!

©Shreyansh Gaurav #Two liner