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हज़ारों वर्षो से एक वृद्धा चाँद पढ़ बैठी चरखा

हज़ारों  वर्षो से एक वृद्धा  
चाँद  पढ़  बैठी  चरखा  कात ती हुई   आज  भी  दिखती है 
पर  वो  उदास  नहीं  है   न उसके  चेहरे  पर 
थकान  का  चिन्ह है  
उस  वृद्धा   की  ये  कहानी   हर  मा ने  अपने   बच्चो  को 
सुलाते  समय     सुनाई  है  और  कल्पना भी  की है  है  क़ि  वो 
भी  उस  वृद्धा  की तरह   चॉंद  पर  बैठी  हुई  दिखेगी 
पर वो  चरखा  नहीं  कातेगी.  स्वेटर   बुनने  वाली सलाइयां  
और . ऊन  क़े  बड़े  गोले   साथ  ले  जायेगी 
इसी  कल्पना   की  गहराई मे  स्वेटर  बुनते बुनते. 
वह  नींद  क़े  आगोश  मे    समा  जाती है #कल्पना
हज़ारों  वर्षो से एक वृद्धा  
चाँद  पढ़  बैठी  चरखा  कात ती हुई   आज  भी  दिखती है 
पर  वो  उदास  नहीं  है   न उसके  चेहरे  पर 
थकान  का  चिन्ह है  
उस  वृद्धा   की  ये  कहानी   हर  मा ने  अपने   बच्चो  को 
सुलाते  समय     सुनाई  है  और  कल्पना भी  की है  है  क़ि  वो 
भी  उस  वृद्धा  की तरह   चॉंद  पर  बैठी  हुई  दिखेगी 
पर वो  चरखा  नहीं  कातेगी.  स्वेटर   बुनने  वाली सलाइयां  
और . ऊन  क़े  बड़े  गोले   साथ  ले  जायेगी 
इसी  कल्पना   की  गहराई मे  स्वेटर  बुनते बुनते. 
वह  नींद  क़े  आगोश  मे    समा  जाती है #कल्पना