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ढलते-ढलते जब सूरज बादलों में छिप जाता है, फिर धीरे

ढलते-ढलते जब सूरज बादलों में छिप जाता है,
फिर धीरे-धीरे तेरे यादों का सूरज उग आता है..!

उगते हुए सूरज को सलाम करने वालो,
मैंने डूबते हुए सूरज के सजदे में सिर झुकाया हूँ..!!

©Sanjeev Suman
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