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होते हम भी अगर उस बज़्म में देखते कैसे मिलती हैं मय

होते हम भी अगर उस बज़्म में
देखते कैसे मिलती हैं मय ग़म में

छुपा के ग़मो को खुश रहते होगे तुम
यही तो फ़र्क़ है तुम में और हम में

ये शोख़ी, ये तब्बसुम दिखावटी हैं
जी रहे हैं हम इसी भरम में

इस जाम के घूंट पी के देख तू भी कभी
फ़र्क़ दिखता नहीं दैर-ओ-हरम में

पामाल हैं लोग इन दर-ओ-दीवारों में 
निशात-ए-ज़िन्दगी तो है फ़क़त याद-ए-सनम में
बज़्म = महफ़िल
शोख़ी = खुश दिल
तबस्सुम = मुसकुराहट
दैर-ओ-हरम = मंदिर और मस्जिद
पामाल = पैर की धूल 
निशात ए ज़िन्दगी = ज़िंदगी की ख़ुशी #urdu #hindi #ghazal #gazal #sad #philosophy
होते हम भी अगर उस बज़्म में
देखते कैसे मिलती हैं मय ग़म में

छुपा के ग़मो को खुश रहते होगे तुम
यही तो फ़र्क़ है तुम में और हम में

ये शोख़ी, ये तब्बसुम दिखावटी हैं
जी रहे हैं हम इसी भरम में

इस जाम के घूंट पी के देख तू भी कभी
फ़र्क़ दिखता नहीं दैर-ओ-हरम में

पामाल हैं लोग इन दर-ओ-दीवारों में 
निशात-ए-ज़िन्दगी तो है फ़क़त याद-ए-सनम में
बज़्म = महफ़िल
शोख़ी = खुश दिल
तबस्सुम = मुसकुराहट
दैर-ओ-हरम = मंदिर और मस्जिद
पामाल = पैर की धूल 
निशात ए ज़िन्दगी = ज़िंदगी की ख़ुशी #urdu #hindi #ghazal #gazal #sad #philosophy