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हर शब्द माइल-ए-परवाज़ कीजिएगा कुर्बान हर तख़्त-ओ-

हर शब्द माइल-ए-परवाज़ कीजिएगा 
कुर्बान हर तख़्त-ओ-ताज़ कीजिएगा


हो पढ़ लिया उनकी ग़ज़लों को अग़र
 जौन एलिया पर सदा नाज़ कीजिएगा

उम्र उनकी फ़क़त इम्तिहान में गुज़री
 ज़िंदगी न बसर हुई क्या काज़ कीजिएगा

जो गुज़रती नहीं वो जिंदगी गुज़ारी है
 ये जानकर ख़ुश कैसे मिज़ाज़ कीजिएगा

न आने वाले से ही मतलब थी उनको
 आने वालों को तो नज़रंदाज़ कीजिएगा

खामोशी से अदा हुई हर रस्म-ए-दूरी
 ना हंगामा बरपे यही रिवाज़ कीजिएगा

वो बस लिखते नहीं थे खून धूकते थे
 उनके दर्द का कैसे इलाज़ कीजिएगा

उनको यारों ने भी तो याद न रक्खा 
न चैन आया कभी क्या एतराज़ कीजिएगा

खुद को तबाह कर किया मलाल नहीं
 मुस्तक़बिल बोलते रहे कैसे बाज़ कीजिएगा

जौन एलिया बार-बार पैदा नहीं होते
 सुनिए इसका बेहद लिहाज़ कीजिएगा

©Shubhanshi Shukla
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