एक दीवाना किस्सा कहता , एक दिवानी सुनती थी , वो ख्वाबों के धागे था देता, ये ताना बाना बुनती थी । बादल की लेकर रुई जब, आता था वो शाम ढले, चांदनी की ये बना अंगुलियाँ , कतरा कतरा धुनती थी, एक दीवाना किस्सा कहता, एक दिवानी सुनती थी ।। ©Dinesh Paliwal #diwana #diwani