आत्मा अकर्ता है, जिसके बुद्धि में यह भाव है- वहीं वास्तव में यथार्थ मे बुद्धिमान है। कर्मयोगी के लिए निःष्काम वेद विहित वर्ण-आश्रम धर्म के अनुसार कर्म मनुष्य जन्म के परम लाभ हेतु प्राथमिक आवश्यक भाव है। इसी भाव के सहयोग से जनमानस के अंतः करण में श्री शिवजी की अनन्य भक्ति का प्रत्यारोपण के अलावा जगत के सभी शुभ एवं अशुभ कर्मों का परित्याग हो गया मात्र इसी निःष्काम भाव को पाने के लिए धरती के प्रत्येक मनुष्य को प्रयास करना चाहिए। https://youtu.be/R3bTZId21UI #समाज