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डॉ रवि शंकर पाण्डेय

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डॉ रवि शंकर पाण्डेय

जय श्री राम!!! जय श्री कृष्ण!!!
प्रिय मित्र!  आपके अंतःकरण में सत्य के प्रति अनन्य प्रेम हो! यह भाव आपके इस सेवक के अंतःकरण में हमेशा-हमेशा के लिए स्थायी रूप से स्थिर हो चुका है।

जय श्री राम!!! जय श्री कृष्ण!!! प्रिय मित्र! आपके अंतःकरण में सत्य के प्रति अनन्य प्रेम हो! यह भाव आपके इस सेवक के अंतःकरण में हमेशा-हमेशा के लिए स्थायी रूप से स्थिर हो चुका है। #Thoughts

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डॉ रवि शंकर पाण्डेय

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डॉ रवि शंकर पाण्डेय

प्रिय मित्रों,
        जय श्री राम,!!!
         विशेष दिव्य शोध से यह अकाट्य शाश्वत निष्कर्ष निकला "सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड ही "श्री शिवजी का सगुण साकार स्वरूप" है।  श्री रामजी का आधार बुद्धि को देकर दिव्य भाव, आचरण एवं उपदेश के माध्यम से आपके इस मित्र 'डॉ रवि शंकर पाण्डेय' द्वारा विगत 8 वर्षों से जगत को श्री शिवजी का बोध कराया जा रहा है। इस दिव्य कर्म में अविद्याजनित- अहंकार, आक्रोश, आसक्ति, अभिमान, स्वार्थ, मोह-ममता एवं कुटिलता इत्यादि भावों का एक श्वाँस में भी स्थान हो ही नही सकता।

©डॉ रवि शंकर पाण्डेय
  #humantouch
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डॉ रवि शंकर पाण्डेय

आत्मा अकर्ता है, जिसके बुद्धि में यह भाव है- वहीं वास्तव में यथार्थ मे बुद्धिमान है। कर्मयोगी के लिए  निःष्काम वेद विहित वर्ण-आश्रम धर्म के अनुसार कर्म मनुष्य जन्म के परम लाभ हेतु प्राथमिक आवश्यक भाव है। इसी भाव के सहयोग से जनमानस के अंतः करण में श्री शिवजी की अनन्य भक्ति का प्रत्यारोपण के अलावा जगत के सभी शुभ एवं अशुभ कर्मों का परित्याग हो गया मात्र इसी निःष्काम भाव को पाने के लिए धरती के प्रत्येक मनुष्य को प्रयास करना चाहिए।   https://youtu.be/R3bTZId21UI

आत्मा अकर्ता है, जिसके बुद्धि में यह भाव है- वहीं वास्तव में यथार्थ मे बुद्धिमान है। कर्मयोगी के लिए  निःष्काम वेद विहित वर्ण-आश्रम धर्म के अनुसार कर्म मनुष्य जन्म के परम लाभ हेतु प्राथमिक आवश्यक भाव है। इसी भाव के सहयोग से जनमानस के अंतः करण में श्री शिवजी की अनन्य भक्ति का प्रत्यारोपण के अलावा जगत के सभी शुभ एवं अशुभ कर्मों का परित्याग हो गया मात्र इसी निःष्काम भाव को पाने के लिए धरती के प्रत्येक मनुष्य को प्रयास करना चाहिए।  https://youtu.be/R3bTZId21UI #समाज

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डॉ रवि शंकर पाण्डेय

प्रिय मित्रों,

        जय  श्री राम!

          आप वास्तव में श्री शिवजी की मूर्ति ही हैं। इस भाव का अनुभव आप तभी कर सकते हैं, जब सच्चे एवं पक्के स्वार्थी या परमार्थी दोनों में से कोई भी भाव स्थायी रूप से धारण कर लें। इस भाव को धारण करने की शक्ति (धृति) आपके इस मित्र के द्वारा मुफ्त में उपलब्ध करा दी जाएगी, मात्र दृढ़ संकल्प आपको करना है। आपका यह मित्र जगत में कोई प्रस्ताव देने का अधिकारी तो नहीं रहा, फिरभी प्रभु के प्रेरणा से मार्गदर्शन अवश्य प्रदान कर सकता है। मित्र! छल-कपट का परित्याग करके इस भाव को अपनी धारणा में स्थिर कर लें, कि मन, वाणी एवं कर्म से श्री रामजी के चरणों में दृढ़ अनुराग हो जाना- यहीं सबसे बड़ा जीव का स्वार्थ है।

स्वारथ साँच जीव कहुँ एहा। मन क्रम बचन राम पद नेहा।।

        

        मनुष्य जन्म एवं जीवन का सारों में से एक सार यह भी है कि- सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में मात्र वही शरीर पवित्र और सुन्दर है, जिस शरीर को पाकर जीव श्री रघुवीर का भजन करे- भाव यही है कि श्री रामजी के मार्गदर्शन के अनुसार जगत में आचरण करें। 

सोइ पावन सोइ सुभग सरीरा। जो तनु पाइ भजिअ रघुबीरा।।


        इस दिव्य कर्म में अविद्याजनित- अहंकार, आक्रोश, आसक्ति, अभिमान, स्वार्थ, मोह-ममता एवं कुटिलता आदि दुर्भावना का एक श्वाँस में भी स्थान हो ही नही सकता। इसलिए यह दिव्य है। श्रद्धा के साथ इसका आत्मसात कर लीजिएगा  जय श्री राम!

डॉ रवि शंकर पाण्डेय

©डॉ रवि शंकर पाण्डेय 8 अरब मित्रों से विनम्र निवेदन

https://drive.google.com/drive/folders/1JPKG9fnw1BI1ran-qS10zvnLGm6njOpe

8 अरब मित्रों से विनम्र निवेदन https://drive.google.com/drive/folders/1JPKG9fnw1BI1ran-qS10zvnLGm6njOpe #समाज

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डॉ रवि शंकर पाण्डेय

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डॉ रवि शंकर पाण्डेय

प्रिय श्रद्धालु मित्रों, 
जय श्री राम!!
आप सभीका कुल सहित जय हो! 
            श्री रामजी की अनन्य निश्चल भक्ति मनुष्य जन्म का सर्वोच्च लाभ है। श्री राम भक्ति का गान चारो वेद, अठारहो पुराण एवं अनन्य संत करते हैं।  आपके इस मित्र डॉ. रवि शंकर पाण्डेय की वर्तमान बुद्धि का पूर्ण बोधमय अनुभव भी यहीं है। निजी अनुभव एवं मन के विश्वास अनुसार जगत में वही मनुष्य चतुरो में शिरोमणि है, जो इस श्री राम भक्ति रूपी मणि के लिए भली-भाँति यत्न करते हैं।
चतुर सिरोमनि तेइ जग माहीं। जे मनि लागि सुजतन कराहीं॥https://youtu.be/CbqPNePf1Ak
 Sri Rama Aadhaar Shanti Kendra
 हेतु- डॉ रवि शंकर पाण्डेय

©डॉ रवि शंकर पाण्डेय #DarkWinters


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