विगत कुरबानियो की महिमा भ्र्ष्ट आचरणों की सरिता में डूबने से बचने के लिए हाथ पेर मार रही है ........तथाकथित संस्कारो की मर्यादाये कीचड़ में लथपथ ही रही है .... अमृत के उजालो की सिर्फ चर्चा है ....किन्तु हमे अंधेरो की विकृतिया रास आरही है ...पुण्यतम साधनाये अंतिम सांसे ले रही है और कदाचित खुदकशी का निर्णय ले रही है संस्कारो की अंत्येष्टि